महराजगंज
लक्ष्मीपुर कस्बा स्थित एक निजी बैंक दो वर्ष पहले ही गरीबों का लगभग सात करोड़ रुपए से अधिक लेकर चंपत हो गया। जब लोग अपना पैसा निकालने के लिए बैंक पहुंचे। तो वहां ताला लटका देखा दंग रह गए। लोगों ने बैंक कहीं और होने की तलाश करने लगे। बैंक का कहीं अता पता नही होने पर लोगों ने उसके फरार होने को लेकर स्थानीय प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई। लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। इसी क्रम में पीड़ितों ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर कार्रवाई की मांग किया। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होने से उनका रो-रो कर बुरा हाल है।
एक तरफ लोगों को बैंकों से जोड़ने के लिए सरकार अधिक से अधिक राष्ट्रीयकृत बैकों का लिंक शाखा खोल रही है। ताकि ग्राहकों को अच्छी सुविधा मिल सके। वहीं सरकार की मंशा के विपरीत लोग निजी बैक खोलकर गरीबों के खून-पसीने की कमाई लेकर चंपत हो जा रहे है। जिसका खामियाजा गरीब व भोली-भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है।लक्ष्मीपुर निवासी धर्मेन्द्र चौरसिया, पवन मद्धेशिया, जितेन्द्र, गोलू आदि ने बताया कि तीन वर्ष पहले कस्बा में एक निजी बैंक ने अपना शाखा खोला था। बैंक ने महज लक्ष्मीपुर शाखा से क्षेत्र के सैकड़ों लोगों के करोड़ो जमा कराया। लेकिन जब भुगतान करने का समय आया। तो उसके पहले ही शाखा पर ताला लगा कर्मचारी फरार हो गए। जिसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक की गई। लेकिन कोई कार्रवाई तो दूर आज तक कोई मुकदमा तक दर्ज नही हो पाया। वहीं थानाध्यक्ष पुरंदरपुर दिलीप कुमार शुक्ल ने बताया कि इस बावत कोई तहरीर नही मिली है। तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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