महराजगंज:
पड़ोसी एवं मित्र राष्ट्र नेपाल में भारतीय क्षेत्र की तबाही की इबारत लिखा जा रहा है। अगर समय रहते भारतीय प्रशासन ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो, इसका बुरा असर बारिश के दिनों में देखने को मिल सकता है। नेपाल में प्रतिबंध के बावजूद तमाम नदियों के कई संवेदनशील स्थलों में बेखौफ होकर खनन किया जा रहा है। यह भारतीय क्षेत्र में एक तबाही की इबारत लिखने जैसा माना जा सकता है, क्योंकि जिन नदियों व स्थानों से खनन हो रहा है। उसमें बरसात के दिनों में होने वाले जल प्रवाह का जुड़ाव भारत के महराजगंज जिले से जुड़ने वाली रोहिन नदी, डंडा नदी व महाव नाला से है। नेपाल के बुटवल, भैरहवां कस्बे के पश्चिमी छोर व भैरहवा व नवलपरासी के बीच स्थित कई स्थानों पर व्यापक रुप से अवैध खनन किया जा रहा है। बीते दिनों नेपाल सरकार ने पर्यावरणीय कारणों का हवाला देकर खनन पर कड़े नियम व कानून लगाए थे। यहां तक कि नेपाल सरकार ने भारत में निर्यात होने वाले गिट्टी-बालू पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। बावजूद इसके नेपाल में खनन का सिलसिला जारी है। जिससे आने वाले बरसात में बाढ़ के रुप में भारी तबाही आ सकती है। इस संबंध में रुपंदेही जिले के जिलाधिकारी उदय बहादुर राना ने बताया कि नेपाल में बालू निकासी पर प्रतिबंध लगा है। खनन करते पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बाढ़ आई तो इन गांवों में मचेगी तबाही
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बरसात के दिनों में नेपाल के पहाड़ों से निकला पानी भारतीय क्षेत्रों में बहता है। खनन से नदियों का बांध कमजोर हो जाएगा और सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ आ जाएगी। बाढ़ आई तो जमुहानी, पुरुषोत्तमपुर, बोदरवार, श्यामकाट, सेमरा, देवघट्टी, खेरहवा दुबे, छितवनिया, दोगहरा, कोहरगढ़ी, झिंगटी, अमहवा, सीहाबार सहित सैकड़ों गांव तबाह हो जाएंगे।
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