लखनऊ से प्रभाकर दूबे की रिपोर्ट
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उत्तर प्रदेश के 65 जिलों में प्राइमरी स्कूलों में नियुक्त करीब 200 अध्यापकों की संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच में फर्जी पाई गई हैं। इस जांच में आगे कई अध्यापकों के फर्जी डिग्री पर नौकरी पाने का खुलासा भी हो सकता है। हालांकि एसआईटी की जांच अब भी जारी है।प्रदेश के 65 जिलों के प्राइमरी स्कूलों में वर्ष 2004 से 2014 के बीच नियुक्त अधिकतर अध्यापकों के संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री के आधार नौकरी पाई है। वही राज्य सरकार ने सभी अध्यापकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच का काम एसआईटी को सौंपा था। जांच के दौरान एक ही डिग्री की दो-दो सत्यापन रिपोर्ट सामने आने पर अब दोबारा सत्यापन कराया जा रहा है। इसके लिए दो सदस्यीय एसआईटी ने चार दिनों तक संस्कृत विश्वविद्यालय में रहकर जांच की।
गोरखपुर, बस्ती और फतेहपुर के शिक्षकों के अभिलेखो का हुआ जांच
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सूत्रों के मुताबिक एसआईटी गोरखपुर, बस्ती और फतेहपुर के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के अभिलेख अपने साथ लाई थी। विश्वविद्यालय के रेकॉर्ड से मिलान करने पर 50 अभिलेख फर्जी पाए गए। उधर, विश्वविद्यालय ने अब तक 32 जिलों के जांच की जो रिपोर्ट एसआईटी को सौंपी है उसमें डेढ़ सौ से अधिक शिक्षकों की डिग्री फर्जी पाई गई है।फिर कराई जाएगी जांच
सूत्रों के अनुसार, अभी 25 जिलों के
अध्यापकों के अभिलेखों की दोबारा जांच होनी है। एसआईटी के अनुरोध पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजारामा शुक्ल ने परीक्षा विभाग को शैक्षिक अभिलेखों के सत्यापन में तेजी लाने का निर्देश
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