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4G, LTE और VoLTE – इनमें क्या अंतर है?

 क्या आपको याद है कि आखिरी बार ऐसा कब हुआ था जब आपने अपना फोन न इस्तेमाल किया हो? पता है, डाटा कनेक्टिविटी के बिना अब जीवन की कल्पना भी मुश्किल है क्योंकि हम मैसेज, कॉल और अपने दोस्तों के साथ अपनी जिंदगी की अपडेट्स शेयर करने के लिए दिन में 100 बार से भी ज्यादा अपना स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं। ऐसी स्थिति में अगर कनेक्टिविटी धीमी या खराब हो तो झल्लाहट होना लाज़मी है। लेकिन Airtel जैसे ऑपरेटर्स की 4G सर्विस में ऐसी परेशानी कम ही पेश आती है।


 



 


हम रोजाना घंटों का समय इंटरनेट के साथ बिताते हैं। एक तरह से कहें तो इंटरनेट ने हमारी जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। लकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये कमाल की तकनीक काम कैसे करती है और इससे जुड़े शब्दों के क्या मतलब हैं? तो आइए समझते हैं मोबाइल की शब्दावली।


4G


4G यानि चौथी पीढ़ी की सेल्युलर नेटवर्क टेक्नोलॉजी। भारत में मौजूद ये फिलहाल अपने तरह का सबसे आधुनिक और तेज नेटवर्क है। 4G टेक्नोलॉजी, 3G के मुकाबले ज्यादा बेहतर है। इसमें ग्राहकों को बेहतर स्पीड और बेहतर कनेक्टिविटी मिलती है। Airtel4G यूजर्स इसके फायदों से अच्छी तरह वाकिफ होंगे। किसी भी नेटवर्क को 4G कहलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU-R) के ग्लोबल स्टैंडर्ड यानि इंटरनेशनल मोबाइल कम्युनिकेशन्स- एडवांस्ड से जुड़े मापदंडों पर खरा उतरना होता है। इन शर्तों को पूरा करने के बाद ही टेलीकॉम ऑपरेटर अपने नेटवर्क को 4G कह सकता है। एक 4G नेटवर्क को कई शर्तों को पूरा करना होता है। इनमें शामिल हैं :


 



 



  • ऑल-IP पैकेट स्विच्ड नेटवर्क

  • हाई मोबिलिटी के लिए 100 Mbps की डाटा स्पीड और लो मोबिलिटी के लिए 1 Gbps तक की डाटा स्पीड

  • बिना रुकावट कनेक्टिविटी और ग्लोबल रोमिंग

  • मौजूदा वायरलेस मानकों के साथ इंटरऑपरेबिलिटी

  • स्मूद हैंडओवर



हाई QoS


 



 


यहां ध्यान देनेवाली बात ये है कि स्पीड की ये निर्धारित सीमा अधिकतम सीमा है। ग्राहकों को असल में जो स्पीड मिलती है वो इससे काफी कम होती है। एक और अहम शर्त है आधुनिक और अनुकूल ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी। हर जनरेशन के साथ, डाटा के प्रकार, प्रोसेसिंग और ट्रांसफर क्षमता में जबरदस्त इजाफा हुआ है। पहले 1G केवल एक एनालॉग सिस्टम था, जो कि 2G टेक्नोलॉजी के साथ डिजिटल ट्रांसमिशन में बदल गया। 3G आने से हमने स्पीड और स्टेबिलिटी के साथ तगड़े नेटवर्क का अनुभव किया।



4G LTE


अब बढ़ते हैं 4G LTE की ओर, जिसे अक्सर 4G का ही दूसरा नाम माना जाता है। लेकिन असल में ये 4G का एक प्रकार है जिसका मतलब है बेहतर स्पीड वाला वायरलेस ब्रॉडबैंड कनेक्शन। ITU-R ने 4G का जो पैमाना तय किया है, उसे पूरा कर पाना टेलीकॉम कंपनियों के लिए मुश्किल है। ऐसे में LTE एक तरह से वो रास्ता है जिसके जरिए 4G स्पीड प्राप्त की जा सकती है और ये 3G स्पीड से एक कदम आगे है। उसी तरह से LTE- एडवांस्ड, LTE से एक कदम ऊपर है, जो आपको बेहतर स्पीड के साथ निर्धारित 4G स्पीड के बेहद करीब ले जाता है और बेहतर नेटवर्क स्टेबिलिटी भी देता है।


इसमें उस रेडियो ट्रांसमिशन का भी शुमार है जिसे MIMO कहा जाता है। MIMO का मतलब है मल्टिपल इनपुट एंड मल्टिपल आटपुट। MIMO मल्टीपाथ प्रोपोगेशन के तहत कई एंटीना की मदद से सिग्नल ट्रांसमिट और रिसीव करता है। न केवल स्मार्टफोन्स, बल्कि अब तो वाई-फाई राउटर्स भी बेहतर कवरेज के लिए MIMO इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में Airtel ऐसा पहला टेलीकॉम ऑपरेटर है जिसने व्यापक तौर पर MIMO का इस्तेमाल शुरू किया ताकि ग्राहकों को बेहतर नेटवर्क एक्सपीरियंस मिल सके।


LTE से न सिर्फ बढ़िया डाटा स्पीड मिलती है बल्कि LTE नेटवर्क पर कॉल भी की जा सकती है। इसे VoLTE (Voice over LTE) भी कहा जाता है। LTE, पुराने 3G नेटवर्क के मुकाबले कहीं ज्यादा डाटा कैरी करने में सक्षम है, इसीलिए आपको बेहतरीन कॉल क्वालिटी और घर या ऑफिस के भीतर पहले से कहीं बेहतर नेटवर्क कवरेज मिलती है।


कुछ साल पहले तक आपको ये चेक करना पड़ता था कि क्या आपके फोन में 4G कनेक्टिविटी संभव है यानि क्या उसमें मॉडेम जैसा जरूरी हार्डवेयर है, जो 4G फ्रीक्वेंसी पर काम कर सकता है या नहीं। लेकिन अब ज्यादातर फोन में ये हार्डवेयर इनबिल्ट होता है यहां तक कि ड्यूल सिम वाले फोन में भी।


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