अडडा से करूणेश पाण्डेंय
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महराजगंज जनपद के लक्ष्मीपुर ब्लाक के ग्राम सभा कजरी मैं 2008 में लापता सन्तोष चौरसिया अपने पैतृक ग्रामसभा कजरी पहुंचा तो फफक पड़ा पिता और खुशी से झूम उठा परिवार प्राप्त जानकारी के अनुसार कजरी निवासी संतोष चौरसिया जुबली इंटर कॉलेज गोरखपुर का छात्र था पिता भी रेलवे में डेली बेस पर मजदूरी चौकीदारी के पद पर करते थे पिता के पास सन्तोष चौरसिया रहकर। पढ़ाई करता था वह जुबली इंटर कॉलेज गोरखपुर में नवीं का छात्र था प्रतिदिन के भाती सन्तोष चौरसिया पढ़ने के लिए स्कूल जा रहा था तभी रास्ते में किसी ने नशीले पदार्थ सुंघा कर संतोष चौरसिया को अपने साथ लेकर चला गया कुछ दिन के बाद सन्तोष को जब होश आया तो संतोष ने बताया कि हम किसी फैक्ट्री में कैद है जहां हमें लोग को टॉर्चर करते थे सन्तोष चौरसिया को आज भी शरीर पर कई जगह मारने पीटने की निशान है संतोष ने बताया कि हर 3 साल में लोकेशन बदल देते थे 11 साल 4 महीना 13 दिन के बाद भी कभी हम सूरज का दर्शन नहीं किए जिस फैक्ट्री में हमें काम कराया जाता था 3 साल के बाद लोकेशन बदल दिया जाता था हमारे पास भी आठ से 10 मजदूर लड़के काम करते हैं शुक्र है उस ड्राइवर की जो हमें गत्ते में पैक करके सिलीगुड़ी आसाम तक ले आया उसके बाद गत्ते को फाड़ कर बाहर निकाला और कहा कि हम सब अब सुरक्षित है । और हम सब अपने प्रदेश को चल जाएंगे। ड्राइवर ने संतोष चौरसिया को लखनऊ तक लेकर आया लखनऊ से ट्रेन से कहा कि आप गोरखपुर के लिए चले जाएं। ड्राइवर ने अपना सिम तोड़ दिया और हमें गोरखपुर के लिए ट्रेन पर बैठा कर चला गया। बुधवार की शाम सन्तोष चौरसिया अपने ग्राम सभा कजरी पहुंचे तो उनके पिता मूरतध्वज फफक कर रोने लगे और पूरा परिवार खुशी से झूम उठा।यह खबर जब गांव के लोग जाने तो नात बात रिश्तेदार गांव के लोग देखने के लिए सन्तोष चौरसिया के यहाँ भीड़ जुटना चालू हो गया आपको बता दें कि जब सन्तोष चौरसिया गायब हुए थे तो कैंट थाने में पिता ने तहरीर दिया कई बार कई अधिकारियों को सूचित भी किया था लेकिन पुत्र को खोज नहीं हो पायी थी । सन्तोष चौरसिया अपने पिता के अकेले संतान थे 5 वर्ष का जब सन्तोष चौरसिया था तभी इनकी मां का सर्गवास हो गई पिता पुत्र को लेकर अपने साथ गोरखपुर लेकर चला गया । रेलवे में वह रोज के बेस पर चौकीदार का काम करता था वहीं से पुत्र को पढ़ा रहा था पुत्र गायब हो गया बहुत खोजबीन छानबीन किया लेकिन नहीं मिला कुछ दिन तक जब कोई सहारा नहीं दिखा ।तो रिश्तेदार और गांव के लोगों के कहने पर मूरतध्वज ने अपनी शादी दूसरी रचा ली जिसके दो संतान हैं पहले लड़की का नाम सावित्री 7 वर्ष दूसरे का नाम भोला उर्फ कन्हैया 4 वर्ष है जब 11 साल 4 महीने 13 दिन बाद बिछड़ा पुत्र पैतृक गांव कजरी आया तो पिता और पूरे परिवार फफक फफक कर रोने लगे और पुत्र को पाकर खुशी से झूम उठा।
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