गोरखपुर से सुशील बशिष्ठ
=================
जीवन में सफल होने के लिए केवल मेहनत करके तकनीकी कौशल सीखना और जानकारियां हासिल करना ही काफी नहीं, बल्कि इंसान को अपनी भावनाओं के बीच संतुलन स्थापित करना भी आना चाहिए। बौद्धिक रूप से कोई भी इंसान चाहे कितना ही सक्षम क्यों न हो लेकिन भावनात्मक परिपक्वता के अभाव में वह असफल हो सकता है।
भावनात्मक रूप से मजबूत होने का मतलब यह है कि तनाव, आघात, विपरीत परिस्थितियों में भी स्वाभाव और व्यव्हार में अच्छी तरह से अनुकूलता होना आपके नियंत्रण में होना और अनुभवों से सकारात्मक रूप से बाहर आना और पुनर्निर्माण करना |
इन दिनों भावनात्मक समस्याएं बढती जा रही है |यह अवस्था अत्यंत संवेदनशील मानी गयी है। उनकी मनौवैज्ञानिक उत्तेजना एवं भावनात्मक जरूरतों को योग्य मार्गदर्शन नहीं दिया जाये तो उनमें क्रोध, तनाव एवं व्यग्रता की प्रवृतिया और कई प्रकार की भ्रांतियों एवं समस्याओं का जन्म होता है।
एक अच्छा ज्योतिष कुंडली के माध्यम से आपको अपने व्यक्तित्व , भावनात्मक रूप शक्तियों और कमजोरियों. दिमाग एवं मन में चल रही किसी न किसी उधेड़बुन , वर्तमान में तनाव, भावनात्मक समस्याएं असंतोष के कारणों , जरूरतों और परिवर्तनों को बेहतर समझने मे पथ प्रदर्शन करता है। जिससे सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है सकारात्मकता अपने आप में आपके अंदर एक नए आत्मविश्वास का संचार करेगा और आप जल्द ही अपने आप इस तकलीफ से बाहर आ जाएंगे। |
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भावनात्मक असंतुलन व्यक्ति के विचारो को कई तरीके से प्रभावित करता है जैसे कि
सहज, एकाग्र व शांत मन |Focused mind
सही संतुलन | The right balance
तर्कशील सोच | Rational thinking
एक सशक्त मन | A strong mind , निर्णय न ले पाना। आत्मविश्वास और एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना |
संकल्पशक्ति तथा एकाग्रता , आत्मविश्वास की कमी, गहरे भावनात्मक तथा मूड विचलन।
•
ज्योतिष द्वारा भावनात्मक संतुलन के लिए कुंडली के कई ग्रहो का रोल काफी महत्व रखता है | जन्म कुंडली के ग्रह आपके भावनात्मक संतुलन ( EMOTIONAL BALANCE ) में अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितिओं का निर्माण करते है।
*सूर्य*
सूर्य और इसकी स्थिति किसी व्यक्ति पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव को दर्शाती है।
सूर्य अहंकार और जागरुकता, व्यक्तित्व, सोचने की दिशा, नेतृत्व, रचनात्मकता , ज्ञान के साथ-साथ शारीरिक ऊर्जा का भी प्रतीक है।
*चन्द्रमा*
चन्द्रमा व्यक्ति के दिमाग में संवेदनशीलता पैदा कर देता है। ज्योतिष में चन्द्रमा मस्तिष्क , व्यक्ति के अवचेतन, उसकी भावनाओं और भावनात्मक जरूरतें , भावनात्मक अनुभवों , उसके व्यवहार को नियंत्रित करता है।
*मंगल*
व्यक्ति को हौसला और शारीरिक शक्ति भी प्रदान करता है। यह व्यक्ति को सफल होने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति भी प्रदान करता है।
*बुध*
बुध ग्रह व्यक्ति को सोचने में, चीज़ों की पहचान करने में तथा विचार व्यक्त करने में मदद करता है। व्यक्ति को गंभीर व अतिसंवेदनशील बनाता है। बुध ग्रह मस्तिष्क से संबंधित है। यह ज्ञान तथा बुद्धि देने वाला है | आत्म-अभिव्यक्ति के कारणों और समझ का प्रतिनिधित्व करता है। बुध और इसकी स्थिति व्यक्ति के मानसिक गुणों और उसके संचार के ढ़ंग को दर्शाती है।
*बृहस्पति*
यह ग्रह ज्ञान , सहनशक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह परिस्थितिओ को समझने तथा किसी मामले को लेकर राय बनाने के लिए व्यक्ति को मजबूत इच्छाशक्ति प्रदान करता है। बृहस्पति और इसकी स्थिति व्यक्ति के मनोभावों के बारे में भी बताती है।
*शुक्र*
यह चीज़ों या व्यक्तियों के प्रति हमारे आकर्षण और चुनाव को दर्शाता है।
*शनि*
शनि आत्म सीमा, अनुशासन और योजना के माध्यम से शक्ति प्रदान करता है। यह व्यक्ति को अपने जीवन में की गई गलतियों से सीखने का मौका देता है
जब भी शनि चन्द्रमा अर्थात् मन व चतुर्थ भाव को प्रभावित करता है तो व्यक्ति को एकाकी व उदासीन प्रवृत्ति का बना देता है
चन्द्रमा के साथ राहु की युति भ्रमित करती है।
*राहु और केतू*
राहु और केतू संवेदनशील बिंदू माने जाते हैं | राहु और केतू किसी व्यक्ति को किस तरह प्रभावित करेंगे ये उस व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है।
मन-मस्तिष्क का सम्बन्ध कुंडली के चतुर्थ भाव व चतुर्थेश, पंचम भाव व पंचमेश से भी होता है।
ASTRO COUNSELING द्वारा कुंडली के ग्रहो से उत्पन सभी भावनात्मक अस्थिरताओं ( EMOTIONAL BALANCING ) को दूर करने के लिए जन्म कुंडली का विश्लेषण और उचित और अनुचित ग्रह दशाओ. कठिन समय में मजबूती प्रदान करने वाले जरुरी ग्रहो का निरिक्षण एवं ख़राब योगो और ग्रहों के जरुरी ज्योतिषीय उपायों द्वारा भावनात्मक असंतुलन को संतुलित किया जा सकता है और भविष्य की सम्भावनाओ को जानते हुए दिशा निर्देश अनुसार वर्तमान परिस्थति से सरलता से बहार निकला जा सकता है |
SUSHIL VASISHTH(guru ji)
7379836765
Comments
Post a Comment