प्रत्येक ग्रह अपने गुण-धर्म के अनुसार एक निश्चित अवधि तक जातक पर अपना विशेष प्रभाव बनाए रखता है जिसके अनुसार जातक को शुभाशुभ फल प्राप्त होता है। फलित ज्योतिष में इसे दशा पद्धति भी कहते हैं महादशा शब्द का अर्थ है वह विशेष समय जिसमें कोई ग्रह अपनी प्रबलतम अवस्था में होता है और कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार शुभ-अशुभ फल देता है |
जन्मकुंडली में ग्रहो की महादशा एवं अन्तर्दशा द्वारा जीवन में आने वाले शुभ और अशुभ फल, प्रकार और अवधि को जाना जा सकता है |
महादशा एवं अन्तर्दशा में फल के संदर्भ में ज्योतिषशास्त्र यह भी कहता है कि जब शुभ ग्रहों की महादशा चलती है उस समय शुभ ग्रहों की अन्तर्दशा में शुभ परिणाम मिलता है जबकि अशुभ ग्रह की अन्तर्दशा अशुभ फल देती है.पाप ग्रह की महादशा के दौरान पाप ग्रह की अन्तर्दशा शुभ फलदायक होती है साथ ही इसमें शुभ ग्रह की अन्तर्दशा भी शुभ फल देती है.
महादशा और अंतर्दशा का संबंध किस भाव से है
भाव का स्वामी कौन सा ग्रह है ,भाव का कारक ग्रह कौन है ,भाव में कौन कौन से ग्रह हैं , भाव पर किस ग्रह की दृष्टि।
कौनसी ग्रह महादशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा, सूक्ष्म एवं प्राण दशा चल रही है।
षष्टम, अष्टम एवं द्वादश भाव के स्वामी के साथ जो ग्रह उपस्थित होते हैं एवं जो ग्रह कुण्डली में इन भावों में वर्तमान होते हैं उनकी दशा अन्तर्दशा में शुभ फल नही मिलता है.जो ग्रह केन्द एवं त्रिकोण स्थान में होते हैं उनकी महादशा एवं अन्तर्दशा में शुभ फल प्राप्त होता है|
भाव को प्रभावित करने वाले ग्रहों की गोचर स्थिति भी देखना चाहिये। गोचर में जब लग्नेश के शत्रु ग्रहों की महादशा और अन्तर्दशा होती है तब व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है.इस स्थिति के होने पर रोजी रोजगार एवं नौकरी में अथल पुथल मच जाती है |
महादशा और अन्तर्दशा में ग्रह लग्न के मित्र हों तो मिलने वाला परिणाम शुभ होता है. इसके विपरीत जिन ग्रहों की महादशा और अन्तर्दशा चल रही है वह अगर लग्नेश के शत्रु ग्रह हैं तो वह आपको अशुभ फल देंगे |
कुंडली में कितने ग्रह अपनी उच्च राशि में हैं और कितने ग्रह अपनी नीच राशि में अवस्थित हैं।
NOTE ==
हमारे जीवन में कौन सा समय अनुकूल होगा और कौन सा समय प्रतिकूल होगा और यदि इस बात का सटीक ज्ञान किसी प्रबुद्ध ज्योतिषी के माध्यम से प्राप्त कर लेते हैं तो आने वाले प्रतिकूल समय को भी हम अपने बुद्धि विवेक एवं धैर्य से अनुकूल बना सकते हैं यही तो मानव विवेक है जो विपरीत परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लें |
त्याज्यम न धैर्यम विधुरेपि काले
ज्योतिष माध्यम से जन्म कुंडली का विश्लेषण करवाएं और ज्योतिषीय उपायों के द्वारा ग्रहों को अनुकूल बनाएं और अनुकूल और प्रतिकूल समय को जानते हुए , वीभीन्न कार्यक्षेत्र और अवस्थाओ को सही दिशा देकर लाभ को बढ़ाये और हानि को कम से कम करे |
SUSHIL VASISHTH (guru ji)
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