लक्ष्मीपुर से पवन मद्धेशिया
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*विश्व पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल*
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*तेरे सुमन से जग विख्याता*
*तुझको नमन हे ! पृथ्वी माता।।*
स्वच्छ सांची से तन-मन को,
पुलकित करने वाली है
तेरी ममता की छावों में
हरे - भरे वृक्षों कि
शोभा बड़ी निराली है
जल जीवन तेरा सबको भाता
*तुझको नमन हे ! पृथ्वी माता।।*
शस्य श्यामला धरा कहीं पर
कहीं पर्वत और पठार है
तेरी गोदी में श्रीराम का तीरथ
तूँ सबसे बड़ी ममता सी कीरत
तेरे दिये समीर से सब जन
जग में जीवन की प्यास बुझाता
*तुझको नमन हे ! पृथ्वी माता।।*
भले आसमाँ अनेक रंग धरे
तुझको ही सब सुहाता है
कौन सा जीव किस तरह बने
तूँ जननी बन जन्माती है
"व्याकुल" विनय करता है
करें न हम तुझको खंडित
यह स्वच्छ भाव मन में आता
*तुझको नमन हे ! पृथ्वी माता।।*
*दयानन्द त्रिपाठी*
*व्याकुल*
लक्ष्मीपुर, महराजगंज,
उत्तर प्रदेश।
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