लक्ष्मीपुर से पवन मद्धेशिया
=================
कवि पतंग की भारती , रहे सदा जीवन्त पावन वैदिक मन्त्र से , शासित जीवन तन्त्र प्रथम ईकाई है कुटुम्ब भारत का निज परिवार लीजिए सिसक रहा है किस स्थित मे इस पर तनिक विचार कीजिए ।। वह संयुक्त कुटुम्ब कहा है जो भी है उसमे भी टूटन । लुप्त हुआ सौहार्द प्रेम सब , आया कैसे घृणित प्रदुषण पाश्चात्य अनुकरण कहे या , युग आ पहुंचा मात्र अर्थ का कोरे असत्य आकर्षण ने जमा दिया विष वट अनर्थ का भाई भाई एक साथ अब बैठ कहाॅ भोजन करते है प्राणप्रिया आई जैसे दीवाल खडी ऑगन करते।।
परमात्मा मणि पतंग भोजपुरी रामायण के रचयिता हनुमान चालीसा दुर्गा चालीस शिव तांडव रचयिता है
Comments
Post a Comment