काली मंन्दिर लक्ष्मीपुर सं श्रीनरायन गुप्ता
लक्ष्मीपुर में स्थित श्रीकाली मंदिर शक्तिपीठ में चैतरामनवमी पर आयोजित शतचंडी महायज्ञ के अवसर पर संगीतमय रामकथा के पांचवें दिन मंगलवार को कथा सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान वृंदावन से पधारी के कथावाचिका नीतू व्यास ने भगवान श्रीराम के स्वयंवर की कथा उपस्थित श्रद्धालुओं को सुनाई। संगीतमय रामकथा के धुन पर श्रोता भाव विभोर हो गए। कथावाचक ने भगवान राम की कथा सुनाते हुए कहा कि पृथ्वी पर बढ़े हुए पापों को कम करने के लिए भगवान राम का धरती पर जन्म हुआ था। रावण के अत्याचारों से पृथ्वी पर लोग परेशान थे।उसके अत्याचारों से दुखी ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और हवन किए। इसके बाद भगवान राम का अवतार हुआ। भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ के यहां जन्म लिए और बड़े होकर रावण के अत्याचारों से लोगों को मुक्ति दिलाई। वहीं कथा आचार्य ने राम विवाह के प्रसंग में बताया कि माता सीता भक्ति और शक्ति की रूप हैं।शिव धनुष अंहकार का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि माता सीता के विवाह के लिए हो रहे धनुष यज्ञ प्रकरण के दौरान जब कोई भी राजा धनुष नहीं तोड़ पाए तो जनक जी परेशान हो गए। इसके बाद गुरु विश्वामित्र जी बोले, हे राम उठो, और धनुष तोड़कर जनक का दुख दूर करो। गुरू की आज्ञा पाकर भगवान राम उठे और धनुष को तोड़ दिया। धनुष टूटते ही सीता ने भगवान राम के गले में जयमाला डाल दी। संगीतमयी कथा के दौरान लोग झूमते दिखे। कथा के सफल संचालन में आचार्य शिवा शर्मा का काफी योगदान रहा। इस दौरान पं.जय त्रिपाठी, पं.नन्दलाल बाबा, सभापति राकेश पाण्डेय, जिला पंचायत सदस्य रामसेवक जायसवाल, भाजपा नेता दुर्गाशंकर शुक्ल, भोला गुप्ता, सुधा गुप्ता, दुर्गा प्रसाद अग्रहरि, विरेन्द्र अग्रहरि, सचिन्द्र मद्धेशिया, छट्ठू प्रसाद, प्रहलाद, करन हेमंत पाण्डेय, सना डीजे, बबलू सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे।
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