लक्ष्मीपुर से श्रीनरायन गुप्ता
लक्ष्मीपुर बाजार में श्रीकाली मंदिर शक्तिपीठ पर शतचंडी महायज्ञ के अवसर आयोजित संगीतमयी रामकथा के दौरान कथावाचिका आचार्य नीतू व्यास ने राम वनवास व राम केवट संवाद कथा की मनोहारी व्याख्या किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब आप दूसरे की मर्यादा को सुरक्षित रखेंगे तभी आपकी मर्यादा सुरक्षित रह सकेगी।
भगवान राम 14 वर्ष वनवास के लिए सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा घाट पर पहुंचे और केवट से गंगा पार करने के लिए नाव मांगा तो केवट ने कहा, मैं तुम्हारे मर्म जान लिया हूं चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। पहले पांव धुलवाओ फिर नाव पर चढ़ाऊंगा। कथावाचिका नीतू व्यास ने कहा कि जिससे पूरी दुनिया मांगती है आज गंगा पार जाने के लिए दूसरे से मदद मांग रहे हैं, जो सारे सृष्टि को तीन पग में नाप सकता है, क्या वह पैदल गंगा नहीं पार कर सकता। भगवान दूसरों की मर्यादा को समझते हैं, वैसे ही घाट की एक मर्यादा होती है। भगवान केवट के पास इसलिए आए कि वह हम लोगों से कहना चाहते हैं कि हम लोग बहुत बड़े बड़े लोगों के दरवाजे पर उनके सुख-दुख में जाते रहते हैं। भगवान कहना चाहते हैं कि हमें कभी छोटे लोगों के यहां भी जाना चाहिए। राम केवट कथा सुनने से हमें यह सीख लेनी चाहिए। कथा को भाव व प्रेम से सुनने वाले ही ज्ञान प्राप्त करते हैं। रामायण का मुख्य रस करुण वास्तव में हृदय में करुणा आ जाए तो वीरता और पराक्रम की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इस दौरान पं जय त्रिपाठी, पं.नन्दलाल, सभापति राकेश पाण्डेय उर्फ गुड्डू बाबा, आचार्य शिवा शर्मा, दुर्गा अग्रहरि, विरेन्द्र अग्रहरि,सचिन्द्र मद्धेशिया, हेमन्त पाण्डेय, प्रहलाद, करन, आशीष चौरसिया, सन्नू, शिव, बबलू, नरेन्द्र, अखिलेश, धर्मेन्द्र सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे।
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