लक्ष्मीपुर से श्रीनरायन गुप्ता
भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव का वात्सल्यपूर्ण वर्णन किया। भगवान राम के जन्म उत्सव पर फूलों की वर्षा करके सभी श्रद्धालुओं ने हर्ष ध्वनि तथा जय जयकार की और इस प्रकार धूमधाम से प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया गया । कथावाचिका ने कथा रसायन के दौरान कही कि व्यक्ति भगवान को अपना सर्वस्व समर्पण कर देता है तो भगवान उसकी सुरक्षा और सम्मान का दायित्व स्वयं लेते हैं। उन्होंने मनुष्य को जीवन का सूत्र दिया कि यदि अनजाने में या जानबूझकर भी कोई भूल हो जाए तो भगवान उसे क्षमा कर देते हैं। लेकिन यदि उस भूल को दोबारा किया जाए तो वह अपराध हो जाती है और उसका दंड भोगना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक जीवन के लिए तीर्थो में जाकर भजन कीर्तन सत्संग करना चाहिए।यजमान के रूप में चन्द्रमुनि पाण्डेय सपत्नीक, यज्ञाचार्य पं.गंगा प्रसाद मिश्र, बाबा जुगानी दास, बबलू पाण्डेय, रवि पाण्डेय, राघवेन्द्र पाण्डेय, अभय पाण्डेय, देवेन्द्र, अवधेश पाण्डेय, दुर्गा अग्रहरि, बबलू यादव, गया प्रसाद, हरिश्चन्द्र रत्न लाल, राजेन्द्र, रामसहाय सहित भारी तादाद में महिलाएं व पुरुष शामिल रहे।
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